मामला और संदर्भ
Hindustan Construction Co. Ltd. बनाम भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI), (2024) 2 SCC 613
उठाया गया मुख्य संवैधानिक/विधिक प्रश्न
क्या मध्यस्थ पंचाट (Arbitral Tribunal) में किसी एक पंच द्वारा दिए गए भिन्नमत निर्णय (dissenting opinion) को, धारा 34 के अंतर्गत बहुमत के निर्णय (majority award) के रद्द होने की स्थिति में, स्वतः ही वैध पुरस्कार (binding award) माना जा सकता है?
न्यायालय का निर्णय और विधिक सिद्धांत
- सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि किसी एक पंच का भिन्नमत निर्णय, चाहे वह विस्तृत और विधिसंगत हो, स्वतः ही पुरस्कार नहीं बन सकता, भले ही बहुमत का निर्णय धारा 34 के तहत रद्द कर दिया जाए।
- भिन्नमत निर्णय केवल मूल्यवान टिप्पणियों या प्रक्रियात्मक त्रुटियों की ओर संकेत करने हेतु प्रासंगिक साक्ष्य (indicative material) के रूप में उपयोगी हो सकता है।
- धारा 34, मध्यस्थ अधिनियम, 1996 के तहत जो न्यायिक जांच होती है, वह केवल बहुमत के निर्णय पर होती है — भिन्नमत निर्णय उस स्तर की न्यायिक जांच से नहीं गुजरता, इसलिए उसे अंतिम पुरस्कार के रूप में मान्यता नहीं दी जा सकती।
- यदि किसी भिन्नमत को बहुमत निर्णय रद्द होने के बाद स्वतः अधिकारिक निर्णय मान लिया जाए, तो यह न केवल विधिसम्मत प्रक्रिया का उल्लंघन होगा, बल्कि यह मध्यस्थ पंचाट की सामूहिकता को भी नष्ट करेगा।
प्रासंगिक विधिक प्रावधान
- Section 34, Arbitration and Conciliation Act, 1996 – मध्यस्थ पुरस्कार को चुनौतियों के लिए न्यायिक मंच
- Arbitral Tribunal under Section 29 – निर्णय बहुमत से पारित होता है, न कि भिन्नमत से
- Dissenting Opinion – केवल वैकल्पिक दृष्टिकोण है, निर्णय नहीं
न्यायसम्मत निष्कर्ष
Hindustan Construction Co. Ltd. v. NHAI में सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णायक रूप से स्पष्ट किया कि यदि बहुमत का मध्यस्थ निर्णय धारा 34 के अंतर्गत रद्द हो जाता है, तो भिन्नमत निर्णय को वैकल्पिक रूप से पुरस्कार (award) के रूप में प्रतिस्थापित नहीं किया जा सकता।
भिन्नमत केवल सहायक विश्लेषणात्मक सामग्री की भूमिका निभा सकता है, लेकिन उसे वैधानिक रूप से बाध्यकारी पुरस्कार का दर्जा नहीं मिल सकता। यह निर्णय मध्यस्थता की प्रक्रिया की पारदर्शिता, विधिक शुद्धता और सामूहिक निर्णय की महत्ता को बनाए रखने हेतु अत्यंत महत्वपूर्ण है।