सजा में दया याचिका पर रोक लगाने का अधिकार केवल उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय को – सत्र न्यायालय द्वारा 20 वर्षों तक दया से वंचित रखने का आदेश अमान्य

मामला और संदर्भ Ravinder Singh बनाम राज्य सरकार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, (2024) 2 SCC 323 उठाया गया मुख्य संवैधानिक/विधिक प्रश्न क्या किसी अपर सत्र न्यायालय (Additional Sessions Judge) के पास यह अधिकार है कि वह दया याचिका या क्षमादान (clemency) की प्रक्रिया पर यह प्रतिबंध लगा सके कि आरोपी को कम से कम 20 […]

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धारा 319 सीआरपीसी की व्याख्या और अभियुक्त की पुनः तलब करने की शक्ति का विधिक स्वरूप

मामला: Sukhpal Singh Khaira v. The State of Punjabन्यायालय: सुप्रीम कोर्टनिर्णय दिनांक: 05 दिसम्बर 2022विवरण: [2022] 10 S.C.R. 156 प्रमुख संवैधानिक एवं विधिक प्रश्न: इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की पाँच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने तीन महत्वपूर्ण प्रश्नों का उत्तर दिया: बहुमत निर्णय (न्यायमूर्ति ए.एस. बोपन्ना द्वारा): सुप्रीम कोर्ट ने धारा 319 CrPC की […]

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वक्फ संपत्ति विवाद में अत्यधिक विलंबित विशेष अनुमति याचिका की अस्वीकृति

Shia Central Board of Waqf, U.P. बनाम Sunni Central Board of Wakf यह मामला एक अत्यंत पुरानी वक्फ संपत्ति से संबंधित विवाद पर आधारित था, जिसमें Shia Central Board of Waqf, U.P. ने Faizabad सिविल न्यायालय के 30 मार्च 1946 के निर्णय के विरुद्ध वर्ष 2017 में विशेष अनुमति याचिका (Special Leave Petition – SLP) […]

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न्यायपालिका की पारदर्शिता बनाम गोपनीयता का संघर्ष: RTI कानून के तहत भारत के मुख्य न्यायाधीश के कार्यालय की जवाबदेही

Central Public Information Officer, Supreme Court of India बनाम Subhash Chandra Agarwalन्यायालय: भारत का सर्वोच्च न्यायालयनिर्णय तिथि: 13 नवम्बर 2019सिविल अपील सं. 10044, 10045, 2683 / 2010 मुख्य मुद्दे: प्रासंगिक विधिक प्रावधान: RTI अधिनियम, 2005: धारा 2(h): लोक प्राधिकारी की परिभाषा धारा 2(f): सूचना की परिभाषा धारा 8(1)(e): फिड्युशियरी संबंध में प्राप्त सूचना का अपवाद […]

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चयन सूची को रद्द करना सरकारी विवेक का विषय: सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का हस्तक्षेप असंगत माना

State of Assam & Ors. v. Arabinda Rabha & Ors.[2025] 3 S.C.R. 598 सुप्रीम कोर्ट ने सेवा संबंधी मामलों में चयन सूची के रद्दीकरण से जुड़े एक महत्वपूर्ण निर्णय में यह स्पष्ट किया कि जब तक चयन प्रक्रिया को सरकार की विधिसम्मत स्वीकृति प्राप्त न हो, तब तक उसे किसी प्रत्याशी का अधिकार नहीं माना […]

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POCSO और IPC दोनों लागू होने पर कठोर दंड को वरीयता: सुप्रीम कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा बरकरार रखी

Gyanendra Singh @ Raja Singh v. State of U.P.[2025] 3 S.C.R. 490 सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में यह स्पष्ट किया कि यदि किसी मामले में भारतीय दंड संहिता और लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम (POCSO) दोनों के प्रावधान लागू होते हैं, तो POCSO अधिनियम की धारा 42 के अनुसार उस प्रावधान को […]

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जानकारी छिपाकर दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सख्त: औरोविल फाउंडेशन को ₹50,000 का जुर्माना

The Auroville Foundation v. Natasha Storey[2025] 3 S.C.R. 469 सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत दाखिल उस रिट याचिका को निरस्त कर दिया जिसमें याचिकाकर्ता ने पूर्व में इसी विषय पर दायर याचिका की अस्वीकृति की जानकारी जानबूझकर छिपाई थी। यह निर्णय न्यायिक प्रक्रिया की पवित्रता, “clean hands” और “non-suppression of […]

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विवाह के दो वर्षों में पत्नी की संदिग्ध मृत्यु: सुप्रीम कोर्ट ने सास-ससुर की जमानत रद्द की

Shabeen Ahmad v. The State of Uttar Pradesh & Anr.[2025] 3 S.C.R. 367 सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में यह स्पष्ट किया कि यदि विवाह के दो वर्षों के भीतर पत्नी की मृत्यु संदेहास्पद परिस्थितियों में हो और आरोप दहेज की मांग तथा क्रूरता से संबंधित हों, तो ऐसे मामलों में अभियुक्तों को जमानत प्रदान […]

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संसद को संविधान के भाग III में वर्णित मौलिक अधिकारों को संशोधित करने की शक्ति नहीं है

I C. GOLAK NATH & ORS. v. STATE OF PUNJAB & ANRS February 27, 1967 संक्षिप्त सारांश:इस ऐतिहासिक निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने यह तय किया कि संसद को संविधान के भाग III में वर्णित मौलिक अधिकारों को संशोधित करने की शक्ति नहीं है। याचिकाकर्ताओं ने पंजाब भूमि धारणा सुरक्षा अधिनियम, 1953 और मैसूर भूमि […]

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मोटर यान अधिनियम, 1988 – मोटर दुर्घटना – मुआवज़ा – मुआवज़े की राशि सीधे दावाकर्ता के बैंक खाते में ट्रांसफर की जाए

PARMINDER SINGH बनाम HONEY GOYAL AND OTHERS SCR उद्धरण: [2025] 4 S.C.R. 50 निर्णय दिनांक: 18 मार्च 2025 न्यायाधीश: माननीय श्री न्यायमूर्ति राजेश बिंदल प्रकरण प्रकार: सिविल अपील /4299/2025 निर्णय: अपील स्वीकार न्यूट्रल सिटेशन: 2025 INSC 361 मोटर यान अधिनियम, 1988 – मोटर दुर्घटना – मुआवज़ा – वृद्धि – अपीलकर्ता, आयु 21 वर्ष, पशु चिकित्सा […]

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