High Court Bar Association, Allahabad v. State of UP and Ors., [2024 (3) ADJ 295 (SC)]संविधान पीठ का निर्णय

मुख्य प्रश्न क्या उच्च न्यायालय द्वारा पारित अंतरिम स्थगन आदेश (stay orders) केवल समयावधि के समाप्त हो जाने से स्वतः समाप्त (automatic vacation) हो सकते हैं? संविधानिक धाराएँ सुप्रीम कोर्ट का निर्णय (संविधान पीठ) न्यायालय का निष्कर्ष यह निर्णय न्यायिक स्वतंत्रता, न्यायालयीय अनुशासन, तथा न्यायिक प्रक्रिया की गरिमा को बनाए रखने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण […]

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स्वीकृत किरायेदारी से उत्पन्न कब्जा पूर्ववर्ती स्वामी के स्थानांतर के बाद ही प्रतिकूल कब्जे (Adverse Possession) में बदल सकता है

मामला और संदर्भBrij Narayan Shukal (मृतक) LRs द्वारा बनाम Sudesh Kumar @ Suresh Kumar (मृतक) LRs द्वारा एवं अन्य, (2024) 2 SCC 590 उठाया गया मुख्य संवैधानिक/विधिक प्रश्नक्या किसी संपत्ति के पूर्ववर्ती स्वामी के किरायेदार उस संपत्ति के स्थानांतरण (transfer) से पहले से प्रतिकूल कब्जे (adverse possession) का दावा नये स्वामी के विरुद्ध कर सकते […]

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मृत्यु पूर्व कथन यदि स्वतंत्र रूप से पुष्ट न हो तो दोषसिद्धि नहीं – साक्ष्य में संदेह होने पर लाभ अभियुक्त को

मामला और संदर्भJitendra Kumar Mishra @ Jittu बनाम मध्य प्रदेश राज्य, (2024) 2 SCC 666 उठाया गया मुख्य संवैधानिक/विधिक प्रश्नक्या केवल मौखिक मृत्यु पूर्व कथन (oral dying declaration) और एक प्रत्यक्षदर्शी की संदेहास्पद उपस्थिति के आधार पर धारा 302/34 IPC के अंतर्गत दोषसिद्धि की जा सकती है? न्यायालय का निर्णय और विधिक सिद्धांत प्रासंगिक विधिक […]

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धारा 138 एन.आई. अधिनियम में व्यक्ति पर प्रबंधकीय दायित्व के आधार पर दायित्व आरोपण की कसौटी

मामला और संदर्भSiby Thomas v. M/s. Somany Ceramics Ltd., (2024) 1 SCC 348 उठाया गया मुख्य संवैधानिक/विधिक प्रश्नक्या शिकायत में पर्याप्त और विशिष्ट तथ्यात्मक आरोप न होने पर अभियुक्त पर धारा 138 के अंतर्गत धारा 141(1) के माध्यम से प्रत्यायोजित (vicarious) दायित्व आरोपित किया जा सकता है? बहुमत निर्णयन्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्न की पीठ ने […]

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पुलिस को तलाश, पर गैंगस्टर दे रहे बेधड़क इंटरव्यू

गैंगस्टर गोल्डी बराड़, जो मशहूर पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या का मुख्य साजिशकर्ता माना जाता है, ने पहली बार खुलकर इस हत्या पर टिप्पणी करते हुए इसे एक ‘समझदारी भरा फैसला’ बताया है। हाल ही में जारी एक इंटरव्यू में, बराड़ ने हत्या की जिम्मेदारी स्वीकारते हुए कहा कि मूसेवाला ने “ऐसी गलतियाँ कीं […]

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एकाधिक मृत्यु पूर्व कथनों में विरोधाभास के प्रभाव पर निर्णय: क्रूरता के आरोप से दोषमुक्ति

राजाराम बनाम मध्य प्रदेश राज्य एवं अन्यगण(Criminal Appeal No. 2311 of 2022, निर्णय दिनांक: 16 दिसंबर 2022)[2022] 16 S.C.R. 99न्यायाधीश: एस. रविंद्र भाट और सुधांशु धूलिया प्रमुख संवैधानिक/कानूनी प्रश्न:क्या एकाधिक मृत्यु पूर्व कथनों (dying declarations) में विरोधाभास की स्थिति में मात्र एक कथन के आधार पर आरोपी की दोषसिद्धि न्यायोचित मानी जा सकती है, विशेषतः […]

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आधार अधिनियम को मनी बिल घोषित करने पर पुनर्विचार याचिकाओं का निर्णय

मामला एवं उद्धरण:Beghar Foundation Through Its Secretary and Anr. v. Justice K.S. Puttaswamy (Retd.) and Ors., [2021] 1 S.C.R. 681Review Petition (Civil) Diary No. 45777 of 2018 in Writ Petition (Civil) No. 494 of 2012निर्णय तिथि: 11 जनवरी 2021 मुख्य संवैधानिक/कानूनी प्रश्न:क्या आधार अधिनियम, 2016 को अनुच्छेद 110 के तहत ‘मनी बिल’ घोषित करने का […]

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दिल्ली में शासन व्यवस्था पर निर्वाचित सरकार और उपराज्यपाल के अधिकारों की संवैधानिक सीमाएं

[2018] 7 S.C.R. 1Government of NCT of Delhi v. Union of India & Another(Civil Appeal No. 2357 of 2017, Judgment dated 04 July 2018) मुख्य संवैधानिक प्रश्न:क्या राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली को एक पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जा सकता है? उपराज्यपाल क्या निर्वाचित सरकार की सलाह और सहायता से बाध्य हैं या स्वतंत्र रूप […]

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छत्तीसगढ़ रेंट कंट्रोल ट्रिब्यूनल के आदेशों के विरुद्ध सीधे सर्वोच्च न्यायालय में अपील का प्रावधान करती है, संविधान के अंतर्गत वैध है या नहीं

राजेन्द्र दीवान बनाम प्रदीप कुमार रानीबाला एवं अन्य[सिविल अपील संख्या 3613/2016, निर्णय दिनांक 10 दिसंबर 2019] मुख्य विवाद/प्रमुख मुद्दा: क्या छत्तीसगढ़ किराया नियंत्रण अधिनियम, 2011 की धारा 13(2), जो छत्तीसगढ़ रेंट कंट्रोल ट्रिब्यूनल के आदेशों के विरुद्ध सीधे सर्वोच्च न्यायालय में अपील का प्रावधान करती है, संविधान के अंतर्गत वैध है या नहीं?  याचिकाकर्ता की […]

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आईबीसी मोराटोरियम उपभोक्ताअधिकारों पर लागू नहीं: सुप्रीम कोर्ट ने उपभोक्ता अधिकारों को दी प्राथमिकता

Saranga Anilkumar Aggarwal v. Bhavesh Dhirajlal Sheth & Ors.[2025] 3 S.C.R. 325 सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में यह स्पष्ट किया कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 27 के तहत लगाया गया दंड, दिवाला और ऋण शोधन अक्षमता संहिता, 2016 की धारा 96 के तहत लागू अंतरिम स्थगन (moratorium) की सीमा में नहीं आता। […]

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