Category: न्यायिक प्रक्रिया
आदेश 47 सीपीसी के तहत पुनर्विचार याचिका की सीमाएँ और आधार – स्पष्ट त्रुटि के बिना पुनः विचार अस्वीकार्य
मामला और संदर्भSanjay Kumar Agarwal बनाम State Tax Officer, (2024) 2 SCC 362 उठाया गया मुख्य संवैधानिक/विधिक प्रश्नक्या कोई निर्णय केवल इसलिए पुनर्विचार हेतु खोला जा सकता है क्योंकि याचिकाकर्ता उससे असहमत है? आदेश 47 नियम 1 सीपीसी के तहत पुनर्विचार किन सीमाओं और आधारों पर किया जा सकता है? न्यायालय का निर्णय और विधिक […]
Continue Readingआर्थिक आधार पर आरक्षण की संवैधानिकता पर सर्वोच्च न्यायालय का ऐतिहासिक निर्णय
प्रकरण का नाम और संदर्भ:Janhit Abhiyan v. Union of India, [2022] 14 S.C.R. 1, Writ Petition (Civil) No. 55 of 2019, निर्णय दिनांक: 07 नवंबर 2022 उठाए गए प्रमुख संवैधानिक प्रश्न: बहुमत का निर्णय (न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी, न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला):सुप्रीम कोर्ट ने 3:2 के बहुमत से 103वां संविधान संशोधन वैध ठहराया। […]
Continue Readingवित्त अधिनियम 2017 की मनी बिल वैधता और न्यायाधिकरणों की स्वतंत्रता पर सर्वोच्च न्यायालय का संवैधानिक परीक्षण
प्रमुख वाद:Rojer Mathew बनाम South Indian Bank Ltd. एवं अन्यनागरिक अपील संख्या: 8588 / 2019निर्णय तिथि: 13 नवम्बर 2019मुख्य संवैधानिक प्रश्न:इस वाद में सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष यह मूल प्रश्न था कि क्या वित्त अधिनियम, 2017 (विशेषकर अध्याय XIV) को संविधान के अनुच्छेद 110 के अंतर्गत मनी बिल के रूप में वैधता प्राप्त है, विशेषतः […]
Continue Readingविशेष आवश्यकता वाले बालक की संरक्षकता पर सुप्रीम कोर्ट सख्त: अमेरिकी नागरिक मां को सौंपा गया बच्चा
Sharmila Velamur v. V. Sanjay and Ors.[2025] 3 S.C.R. 377 सुप्रीम कोर्ट ने एक अंतरराष्ट्रीय बाल संरक्षकता विवाद में यह स्पष्ट किया कि यदि कोई बच्चा गंभीर न्यूरोलॉजिकल स्थिति से पीड़ित है और स्वतंत्र निर्णय लेने में अक्षम है, तो उसकी संरक्षकता का निर्धारण उसकी सर्वोत्तम भलाई के आधार पर किया जाना चाहिए, न कि […]
Continue Readingअभियुक्त को स्वयं के विरुद्ध साक्ष्य देने के लिए विवश करने से सुरक्षा
THE STATE OF BOMBAY v/s KATHI KALU OGHAD AND OTHERS AIR 1961 SC 1808; [1962] 3 SCR 10 इस संविधान पीठ के निर्णय में भारत के संविधान के अनुच्छेद 20(3) के दायरे को स्पष्ट किया गया, जो अभियुक्त को स्वयं के विरुद्ध साक्ष्य देने के लिए विवश करने से सुरक्षा प्रदान करता है। यह मामला […]
Continue Readingस्नातकोत्तर डिग्री रखने वाले अपीलकर्ता FSO (Food Safety Officer) पद हेतु पूर्णतः योग्य हैं
CHANDRA SHEKHAR SINGH AND OTHERS बनाम THE STATE OF JHARKHAND AND OTHERSSCR उद्धरण: [2025] 4 S.C.R. 129निर्णय दिनांक: 20 मार्च 2025न्यायाधीश: माननीय श्री न्यायमूर्ति संदीप मेहताप्रकरण प्रकार: सिविल अपील /10389/2024निर्णय: अपील स्वीकृतन्यूट्रल सिटेशन: 2025 INSC 372 मुख्य बिंदु (हेडनोट): खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 – धाराएँ 37, 91 – खाद्य सुरक्षा एवं मानक नियम, […]
Continue Readingबिजली अधिनियम 2003 की धारा 63 की शाब्दिक व्याख्या और राज्य विद्युत आयोग के कर्तव्यों की न्यायिक पुष्टि
MUNICIPAL CORPORATION OF DELHI vs. GAGAN NARANG & ORS. ETC. SCR Citation: [2025] 1 S.C.R. 239 बिजली अधिनियम की धारा 63 की व्याख्या पर सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला सुप्रीम कोर्ट ने बिजली अधिनियम 2003 की धारा 63 से संबंधित एक अहम मामले में फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट किया है कि जब किसी कानून की भाषा […]
Continue Readingजलियांवाला बाग़ वाले मामले मे ब्रिटिश साम्राज्य को अदालत में घसीटने वाले नायक—शंकरन नायर की वीरगाथा
1919 के जलियांवाला बाग़ नरसंहार के बाद, जब ब्रिटिश साम्राज्य ने अपने अत्याचारों को छिपाने की कोशिश की, तब एक भारतीय न्यायविद् और राष्ट्रवादी ने उन्हें उनके ही न्यायालय में चुनौती दी। यह साहसी व्यक्ति थे शंकरन नायर, जिन्होंने ब्रिटिश शासन के उच्चतम पदों में से एक—वायसराय की कार्यकारी परिषद—से इस्तीफा देकर विरोध दर्ज कराया […]
Continue Readingअदालतों में क्षेत्रीय भाषाओं के उपयोग को लेकर केंद्र सरकार का स्पष्टीकरण
संविधान के अनुच्छेद 348(1)(क) के अनुसार, उच्चतम न्यायालय और प्रत्येक उच्च न्यायालय की कार्यवाहियां अंग्रेज़ी में ही होंगी। हालांकि, अनुच्छेद 348(2) यह अनुमति देता है कि किसी राज्य का राज्यपाल, राष्ट्रपति की पूर्व सहमति से, उस राज्य के उच्च न्यायालय की प्रधान पीठ में हिंदी या राज्य की अन्य राजभाषा का उपयोग करने की स्वीकृति […]
Continue Readingसास भी घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत दर्ज करा सकती है शिकायत: इलाहाबाद हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय
सास भी घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत शिकायत दर्ज कर सकती है—यह महत्वपूर्ण टिप्पणी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक मामले की सुनवाई के दौरान दी। न्यायमूर्ति आलोक माथुर की एकल पीठ ने स्पष्ट किया कि यदि किसी सास को बहू या अन्य पारिवारिक सदस्यों द्वारा मानसिक या शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जाता […]
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