Category: भारतीय कानून
क्या किशोर न्याय बोर्ड वयस्क को आरोपी बनाने हेतु धारा 319 दंप्रसं के अंतर्गत समन कर सकता है?
क्या किशोर न्याय बोर्ड (Juvenile Justice Board – JJB) के पास ऐसी कोई विधिक शक्ति है कि वह दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 319 के अंतर्गत किसी ऐसे व्यक्ति को, जो किशोर नहीं है, अभियुक्त के रूप में समन कर सके। प्रावधानों का विश्लेषण:धारा 4 दंप्रसं स्पष्ट करती है कि भारतीय दंड संहिता अथवा अन्य […]
Continue Readingगवाह की अनुपस्थिति में भ्रष्टाचार का प्रमाण: परिस्थितिजन्य साक्ष्य और विधिक अनुमान की संवैधानिक वैधता
मामला:Neeraj Dutta v. State (Govt. of NCT of Delhi)Criminal Appeal No. 1669 of 2009[2022] 5 S.C.R. 104 संविधानात्मक/विधिक मुद्दे:क्या जब शिकायतकर्ता की गवाही उपलब्ध नहीं है (मृत्यु, असहयोग, या अनुपलब्धता के कारण), तब भी केवल परिस्थितिजन्य (circumstantial) साक्ष्य या अन्य गवाहों के माध्यम से, लोक सेवक के विरुद्ध भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा 7 एवं 13(1)(d) […]
Continue Readingधार्मिक आस्था बनाम संवैधानिक समानता – सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर पुनर्विचार
Kantaru Rajeevaru बनाम Indian Young Lawyers Association व अन्य(Review Petition (Civil) No. 3358/2018 in WP (C) No. 373/2006) मुख्य मुद्दे (Substantial Issues): प्रासंगिक संवैधानिक प्रावधान (Relevant Constitutional Provisions): अनुच्छेद 25(1): सभी व्यक्तियों को समान रूप से धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार अनुच्छेद 26: धार्मिक सम्प्रदायों को अपने धार्मिक मामलों का प्रबंधन अनुच्छेद 14: समानता का […]
Continue Readingबिना लाइसेंस फैक्ट्री संचालन पर सुप्रीम कोर्ट सख्त: कपड़े धोने की इकाई भी फैक्ट्री मानी गई
The State of Goa & Anr. v. Namita Tripathi[2025] 3 S.C.R. 341 सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया कि यदि कोई परिसर विद्युत शक्ति की सहायता से चलाया जा रहा हो और उसमें नौ से अधिक श्रमिक कार्यरत हों, तो वह स्थान ‘फैक्ट्री’ की कानूनी परिभाषा में आएगा, भले ही वह केवल […]
Continue Readingबैंक राष्ट्रीयकरण मामला
RUSTOM CAVASJEE COOPER v. UNION OF INDIA February 10, 1970 इस ऐतिहासिक फैसले को “बैंक राष्ट्रीयकरण मामला” (Bank Nationalization Case) भी कहा जाता है। इसमें Banking Companies (Acquisition and Transfer of Undertakings) Act, 1969 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई थी, जिसके माध्यम से भारत सरकार ने 14 प्रमुख वाणिज्यिक बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया। […]
Continue Readingनिजी अस्पतालों में मनमाने शुल्क और रोगियों के शोषण की समस्या
SIDDHARTH DALMIA एवं अन्य बनाम UNION OF INDIA एवं अन्य SCR उद्धरण: [2025] 4 S.C.R. 197 निर्णय दिनांक: 04 मार्च 2025 न्यायाधीश: माननीय श्री न्यायमूर्ति सूर्यकांत प्रकरण प्रकार: रिट याचिका (सिविल) /337/2018 निर्णय: याचिका का निपटारा न्यूट्रल सिटेशन: 2025 INSC 351 भारतीय संविधान – भाग IV; सातवीं अनुसूची, सूची-II – निजी अस्पतालों में मनमाने शुल्क […]
Continue Reading“सुप्रीम कोर्ट द्वारा विस्थापितों को प्रतिकर में राहत: भूमि अधिग्रहण विवाद में सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम”
की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम” MAHANADI COAL FIELDS LTD. & ANR. vs. MATHIAS ORAM & ORS. SCR Citation: [2025] 1 S.C.R. 158 सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में यह स्पष्ट कर दिया है कि महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड (एमसीएल) द्वारा ओडिशा में अधिग्रहित भूमि के मुआवज़े और पुनर्वास से संबंधित मामलों में अब कोई […]
Continue Readingमुसलमान वक़्फ़ (निरसन) अधिनियम, 2025: एक ऐतिहासिक विधिक परिवर्तन
भारत सरकार ने 5 अप्रैल 2025 को “मुसलमान वक़्फ़ (निरसन) अधिनियम, 2025” को अधिसूचित किया, जिसके तहत 1923 के मुसलमान वक़्फ़ अधिनियम को औपचारिक रूप से निरस्त कर दिया गया। यह अधिनियम संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किया गया और राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त करने के बाद लागू हुआ। मुख्य बिंदु: 1923 का मुसलमान […]
Continue Readingनीदरलैंड के 10 शहरों में वैध गांजा बिक्री की शुरुआत: संगठित अपराध पर लगाम और स्वास्थ्य सुरक्षा पर परीक्षण
7 अप्रैल 2025 से नीदरलैंड के 10 नगरपालिकाओं में वैध रूप से उगाए गए गांजे की बिक्री की शुरुआत की गई है। इस लंबे परीक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत इन नगरों के करीब 80 कैनबिस कैफे या कॉफी शॉप्स अब केवल लाइसेंस प्राप्त उत्पादकों से आपूर्ति प्राप्त गांजा ही बेचेंगे। यह प्रयोग 2029 तक चलेगा। इस […]
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