मुख्य प्रश्न
क्या उच्च न्यायालय द्वारा पारित अंतरिम स्थगन आदेश (stay orders) केवल समयावधि के समाप्त हो जाने से स्वतः समाप्त (automatic vacation) हो सकते हैं?
संविधानिक धाराएँ
- अनुच्छेद 21 – जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार
- अनुच्छेद 226 – उच्च न्यायालयों की रिट अधिकारिता
- अनुच्छेद 227 – उच्च न्यायालयों की अधीक्षण शक्तियाँ
- अनुच्छेद 215 – उच्च न्यायालय की अवमानना शक्ति
- अनुच्छेद 142 – पूर्ण न्याय करने हेतु सर्वोच्च न्यायालय की शक्ति
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय (संविधान पीठ)
- सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि केवल समय की अवधि बीत जाने से किसी भी उच्च न्यायालय द्वारा पारित स्थगन आदेश स्वतः समाप्त नहीं हो सकते।
- सुप्रीम कोर्ट के पास अनुच्छेद 142 के तहत भले ही न्याय पूर्ण करने की व्यापक शक्ति हो, फिर भी वह यह निर्देश नहीं दे सकता कि देश के सभी उच्च न्यायालयों के स्थगन आदेश एक निश्चित समय बाद स्वतः समाप्त हो जाएं।
- मामलों का शीघ्र निस्तारण कराने के लिए समय-सीमा तय करना (time-bound schedule) अन्य न्यायालयों की स्वतंत्र कार्यपालिका और न्यायिक विवेक में हस्तक्षेप माना जाएगा और यह केवल असाधारण परिस्थितियों में ही उचित हो सकता है।
- प्राथमिकता से मामलों के निस्तारण (prioritization of cases) का निर्णय उसी न्यायालय द्वारा किया जाना चाहिए जिसमें मामला लंबित है, न कि संवैधानिक न्यायालय द्वारा सामान्य रूप से निर्देश देकर।
न्यायालय का निष्कर्ष
- अंतरिम स्थगन आदेश केवल समयावधि समाप्त होने के कारण स्वतः निरस्त नहीं माने जाएंगे।
- अनुच्छेद 142 के तहत ऐसा सामान्य नियम सुप्रीम कोर्ट द्वारा नहीं बनाया जा सकता।
- हर न्यायालय को यह स्वतंत्रता होनी चाहिए कि वह अपने मामलों की प्राथमिकता, प्रक्रिया और समय-सीमा स्वयं तय करे।
यह निर्णय न्यायिक स्वतंत्रता, न्यायालयीय अनुशासन, तथा न्यायिक प्रक्रिया की गरिमा को बनाए रखने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।